आपकी जिंदगी की कीमत क्या और कितनी है? What is the value of your own life

एक शिष्य ने अपने guru से पूछा, आचार्य मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है, वास्तव में मेरे जीवन का मूल्य (value) क्या है ? Guru थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा तुम यही रुको मैं भीतर से आता हूँ,



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गुरु जी अपने कक्ष से बाहर निकल कर उस शिष्य को कुछ काँच के पत्थर दिए और कहा इन्हें रखो और इन्हें बाज़ार में जा कर  बेचने का प्रयास करो

और जब कोई कीमत पूछे तो बिना कुछ बोले अपनी 2 उँगलियाँ हवा में उठा देना,

पर याद रहे इसे बेचना नहीं है बस इसकी कीमत  सुन के आ जाना, इसे सबसे पहले कबाड़ी के यहां ले जाना और फिर इसे सब्जी वाले और

अंत में इसे किसी सोनार (jwaller) के दुकान पर ले जाना, शिष्य ने कहा जो आज्ञा गुरुदेव और वहाँ से बाज़ार की ओर चल दिया।


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शिष्य सबसे पहले कबाड़ी की दुकान पर गया और मालिक के  सामने काँच के पत्थर रख दिए, मालिक ने उसकी कीमत पूछी तो शिष्य ने वादे के मुताबिक अपनी दो उँगलियाँ हवा में उठा दी, उस कबाड़ी वाले ने कहा 2 ₹, इसे ज्यादा बिल्कुल भी  नहीं ।


ये सुन कर शिष्य वहाँ से निकल गया,  फिर वह सब्जी वाले के पास गया और उसके सामने रख दिये और कहा मै इसे बेचने आया हूँ, व्यापारी  ने कहा क्या कीमत लगाते हो इसकी ?

शिष्य ने हवा में दो उंगलियां खड़ी कर दी । व्यापारी ने कहा चलो 200 ₹ ले लो और ये मुंदरी (ring) के नग मुझे दे दो,


इसके बाद शिष्य सोनार के यहाँ गया और उसने काँच के कांच पत्थर सुनार को दिखाएं यह देखते ही सुनार की आंखों में चमक आ गई

उसने कहा तुम्हें यह कहां से मिले यह तो दुनिया के दुर्लभ रत्नों में से एक है, यह तो मेरे पास होना ही चाहिए, इसकी कीमत बोलो मुझे यह चाहिए ही चाहिए यह सुनकर शिष्य ने फिर से अपनी दो उंगलियां हवा में उठा दी इतने में सुनार ने कहा
 2 करोड़ ₹ यह सुनकर शिष्य बहुत हैरान हुआ


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शिष्य भागते हुए गुरू के पास गया और सारी बातें बता दी, शिष्य ने पूछा ऐसा क्यों था कबाड़ी ने इसकी कीमत 2₹ लगाई तो व्यापारी ने 200 ₹ और तो और सुनार तो  इसके लिए 2 करोड रुपए  देने के लिए तैयार था ,एक वस्तु के इतने अलग-अलग मूल्य कैसे ? यह कैसे हो सकता है ? 

परंतु ऐसा ही हुआ है  गुरु ने कहा, सबने इसका मूल्य अपनी अपनी मानसिकता और अनुभव से लगाया है जो जैसा था उसको यह उतना ही  मूल्यवान दिखाई दिया, 

और सोनार (jeweller) इसकी कीमत जानता था इसलिए उसने इसकी कीमत 2 करोड़ लगाई और बाकी सब इस तथ्य से अनजान थे।

बस यही हर एक शक्स की कहानी है जिसको जीवन जितना मूल्यवान लगा उसने अपनी जिंदगी और खुद की उतनी ही कीमत लगा दी और वो पूरी जिंदगी बस उसी कीमत पर जीता है । 

क्योकि हम  खुद को जो मानते हैं, बस वही बन जाते हैं. 



आज हम जो भी हो वह इसलिए क्योंकि हमने आपको यह मान लिया है और कई बार तो अपकी जिंदगी की कीमत दूसरे लोग अपने poor experience और Knowledge base पर कर के चले जाते हैं और म उसे मान भी लेते हैं 

जबकि सच तो यह है  हमारे जीवन का कोई मोल ही नहीं है यह अनमोल है, इसकी कोई सीमा नहीं है। 





Post summary and conclusion - 


So friends is story ke bare me jrur soche kyoki ye ek kahani nhi hai bslki humari jindgi ki hakikat, 

so my friends apko ye post kaisa lga hume comment box jrur btaye, sath
ही apka koi is post ko lekar koi question है ya advice hai to ap comment me jrur बताए  



और social media ( groups me) में इस पोस्ट को जरूर share करे , क्या पता कौन सी बात किसको और कब लग जाए और अपके कोशिशों से किसी को जीने की उम्मीद मिल जाए। 


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